गजल

Tuesday, 5 March 2013

नाम को, होली मिलना भी, कोई बात हुई



ईद हिन्दू की, मुसलमाँ की होली आज हुई।
ले के त्यौहारों को लड़ना भी, कोई बात हुई।

फासले रक्खो, गुनाहों से, गुनहगारों से
ये मजहबों का फासला भी, कोई बात हुई।

मसअले हैं बहुत, इंसां की तरक्की से जुड़े
काशी, काबा का मसअला भी, कोई बात हुई।

फैसले, हम वही मानेंगे जो संसद में होंगे
धर्म–संसद का फैसला भी, कोई बात हुई।

यूँ मिलो अब गले कि दिल, दिल से मिल जायें
नाम को, होली मिलना भी, कोई बात हुई।

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